Monday, May 19, 2014

माँ

Lion Shailendra Sakhlecha ने कुछ समय पहले माँ पर एक कविता लिखी थी...
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माँ, सब अडजस्ट करती हे..
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एक जली हुई रोटी
छूटे सने हुए चांवल
जूठा पानी का ग्लास
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माँ, सब अडजस्ट करती हे..
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आँगन का कचरा
छत पर सूखते पापड
चक्की की सफाई
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माँ, सब अडजस्ट करती हे..
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बिखरी हुई रसोई
जूठे बर्तन
फटी साड़ी
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माँ, सब अडजस्ट करती हे..
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पति का गुस्सा
बेटी का नखरा
बेटे का स्वभाव
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माँ, सब अडजस्ट करती हे..
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जवानी का काम
बुढापे की सांझ
मृत्यु की बाट
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माँ, सब अडजस्ट करती हे..
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सुहाग की उम्र
उसके गम
अपना कृशकाय तन
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माँ, सब अडजस्ट करती हे..
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बहु का तिरस्कार
बेटे का वहिष्कार
अपने संस्कार
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माँ, सब अडजस्ट करती हे..
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अपने "गुणों" के दोष
विपत्ति में होश
सदा निर्दोष.....
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माँ, सब अडजस्ट करती हे..
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