Wednesday, July 30, 2014

Hindu rituals

१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।
२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |
३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से बुरे सपने आते हैं।
४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
५. पूजा सुबह 6 से 8बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |
६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें । इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |
७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |
८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |
१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।
११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |
१२. सप्ताह में एकबार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |
१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरने आपके पूजा घर में जरुर पहुचे सबसे पहले |
१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो ऐसी व्यवस्था करें ...

Thursday, July 24, 2014

महाभारत से महाज्ञान

श्रीकृष्ण द्वारका में रानी सत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे, निकट ही गरुड़ और सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे। तीनों के चेहरे पर दिव्य तेज झलक रहा था। बातों ही बातों में रानी सत्यभामा ने श्रीकृष्ण से पूछा कि हे प्रभु, आपने त्रेता युग में राम के रूप में अवतार लिया था, सीता आपकी पत्नी थीं। क्या वे मुझसे भी ज्यादा सुंदर थीं? द्वारकाधीश समझ गए कि सत्यभामा को अपने रूप का अभिमान हो गया है। तभी गरुड़ ने कहा कि भगवान क्या दुनिया में मुझसे भी ज्यादा तेज गति से कोई उड़ सकता है। इधर सुदर्शन चक्र से भी रहा नहीं गया और वह भी कह उठे कि भगवान, मैंने बड़े-बड़े युद्धों में आपको विजयश्री दिलवाई है। क्या संसार में मुझसे भी शक्तिशाली कोई है?
भगवान मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। वे जान रहे थे कि उनके इन तीनों भक्तों को अहंकार  हो गया है और इनका अहंकार नष्ट होने का समय आ गया है। ऐसा सोचकर उन्होंने गरुड़ से कहा कि हे गरुड़! तुम हनुमान के पास जाओ और कहना कि भगवान राम, माता सीता के साथ उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। गरुड़ भगवान की आज्ञा लेकर हनुमान को लाने चले गए। इधर श्रीकृष्ण ने सत्यभामा से कहा कि  देवी आप सीता के रूप में तैयार हो जाएं और स्वयं द्वारकाधीश ने राम का रूप धारण कर लिया। मधुसूदन ने सुदर्शन चक्र को आज्ञा देते हुए कहा कि तुम महल के प्रवेश द्वार पर पहरा दो। और ध्यान रहे कि मेरी आज्ञा के बिना महल में कोई प्रवेश न करे।
भगवान की आज्ञा पाकर चक्र महल के प्रवेश द्वार पर तैनात हो गए। गरुड़ ने हनुमान के पास पहुंच कर कहा कि हे वानरश्रेष्ठ! भगवान राम माता सीता के साथ द्वारका में आपसे मिलने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं। आप मेरे साथ चलें। मैं आपको अपनी पीठ पर बैठाकर शीघ्र ही वहां ले जाऊंगा। हनुमान ने विनयपूर्वक गरुड़ से कहा, आप चलिए, मैं आता हूं। गरुड़ ने सोचा, पता नहीं यह बूढ़ा वानर कबnn पहुंचेगा। खैर मैं भगवान के पास चलता हूं। यह सोचकर गरुड़ शीघ्रता से द्वारका की ओर उड़े। पर यह क्या, महल में पहुंचकर गरुड़ देखते हैं कि हनुमान तो उनसे पहले ही महल में प्रभु के सामने बैठे हैं। गरुड़ का सिर लज्जा से झुक गया।     तभी श्रीराम ने हनुमान से कहा कि पवन पुत्र तुम बिना आज्ञा के महल में कैसे प्रवेश कर गए? क्या तुम्हें किसी ने प्रवेश द्वार पर रोका नहीं? हनुमान ने  हाथ जोड़ते हुए सिर झुका कर अपने मुंह से सुदर्शन चक्र को निकाल कर प्रभु के सामने रख दिया। हनुमान ने कहा कि प्रभु आपसे मिलने से मुझे इस चक्र ने रोका था, इसलिए इसे मुंह में रख मैं आपसे मिलने आ गया। मुझे क्षमा करें। भगवान मंद-मंद मुस्कुराने लगे। हनुमान ने हाथ जोड़ते हुए श्रीराम से प्रश्न किया हे प्रभु! आज आपने माता सीता के स्थान पर किस दासी को इतना सम्मान दे दिया कि वह आपके साथ सिंहासन पर विराजमान है।
अब रानी सत्यभामा के अहंकार भंग होने की बारी थी। उन्हें सुंदरता का अहंकार था, जो पलभर में चूर हो गया था। रानी सत्यभामा, सुदर्शन चक्र व गरुड़ तीनों का गर्व चूर-चूर हो गया था। वे भगवान की लीला समझ रहे थे। तीनों की आंख से आंसू बहने लगे और वे भगवान के चरणों में झुक गए। अद्भुत लीला है प्रभु की। अपने भक्तों के अंहकार को अपने भक्त द्वारा ही दूर किया।

Tuesday, July 22, 2014

Dadi Maa

अदालत में एक मुकदमे की सुनवाई चल रही थी दादी माँ की गवाही होनी थी. याददाश्त ठीक है या नहीं, यह परखने के लिए बचाव पक्ष के वकील ने पूछा- “अम्मा,क्या आप मुझे जानती है?” - दादी– “जानती हूँ ? … एक नंबर का चोर और कमीना है तू … बचपन में दूसरों के घर से चीज़ें चुरा कर भाग जाता था … स्कूल जाने के नाम पर रोता था … ये तो बता तू वकील कैसे बन गया रे?” - वकील सकपका गया और बात बदलने के लिऐ सामने खड़े अभियोजन पक्ष के वकील की ओर इशारा करते हुए बोला- “अच्छा अम्मा जी, आप इनको जानती हैंक्या?” - दादी– “इसको? अरे इसके तो मैं पूरे खानदान को जानती हूँ … जब ये छोटा था तब इसका शराबी बाप नशे में धुत होकर मेरे घर के सामने वाली नाली मे पड़ा रहता था और इसकी माँ झाडू से पीटती रहती थी. ये खुद अव्वल नंबर का छिछोरा था और कोई भी इसे अपने घर में घुसने नहीं देता था” जज साहब चिल्लाये– “ऑर्डर … ऑर्डर!” - फिर दोनों वकीलों को अपने पास बुलाकर धमकाते हुए फुसफुसाए– “कमीनो, अगर तुम लोगों ने इससे मेरे बारे में कुछ भी पूछा तो तुम्हें अभी सीधा जेल भिजवा दूंगा |

Friday, July 18, 2014

कुछ अच्छे शेरों का संकलन


ख़्वाहिशों के क़ाफ़िले
बड़े अजीब होते हैं,
ये गुज़रते वहीं से हैं
जहाँ रास्ते नहीं होते ।

ग़ज़ब का हौसला दिया है
खुदा ने हम इन्सानों को,
वाक़िफ़ हम अगले पल से भी नहीं
और वादे ज़िंदगी भर के होते है ।

सीढियाँ उन्हे मुबारक हो,
जिन्हे छत तक जाना है...
मेरी मंझिल तो आसमान है,
रास्ता मुझे खुद बनाना है...

मैखाने मे आऊंगा मगर...
पिऊंगा नही साकी...
ये शराब मेरा गम मिटाने की
औकात नहीं रखती......

खामोश बैठें तो लोग कहते हैं
उदासी अच्छी नहीं,
ज़रा सा हँस लें तो
मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं" !!

हद-ए-शहर से निकली
तो गाँव गाँव चली।
कुछ यादें मेरे संग
पांव पांव चली।
सफ़र जो धूप का किया
तो तजुर्बा हुआ।
वो जिंदगी ही क्या
जो छाँव छाँव चली।

तू होश में थी फिर भी
हमें पहचान न पायी;
एक हम है कि पी कर भी
तेरा नाम लेते रहे!

हजार जवाबों से अच्छी है खामोशी,
ना जाने कितने सवालों की
आबरू रखती है !

सूरज ढला तो
कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी,
यहीं परछाइयां हमने..

काग़ज़ की कश्ती थी
पानी का किनारा था।
खेलने की मस्ती थी
ये दिल अवारा था।
कहाँ आ गए
इस समझदारी के दलदल में।
वो नादान बचपन ही
कितना प्यारा था ...!

जमीन छुपाने के लिए
गगन होता है...
दिल छुपाने के लिए
बदन होता है....
शायद मरने के बाद भी
छुपाये जाते है गम....
इस लिए हर लाश पे
कफ़न होता है

मेरे लफ़्ज़ों से न कर
मेरे क़िरदार का फ़ैसला ll
तेरा वज़ूद मिट जायेगा
मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते l

कबर की मिट्टी
हाथ में लिए सोच रहा हूं,
लोग मरते हैं तो
गुरूर कहाँ जाता है..

Wednesday, July 16, 2014

पर्स में फोटो

यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में टी.टी.ई. को एक पुराना फटा सा पर्स मिला। उसने पर्स को खोलकर यह पता लगाने की कोशिश की कि वह किसका है। लेकिन पर्स में ऐसा कुछ नहीं था जिससे कोई सुराग मिल सके। पर्स में कुछ पैसे और भगवान श्रीकृष्ण की फोटो थी। फिर उस टी.टी.ई. ने हवा में पर्स हिलाते हुए पूछा -"यह किसका पर्स है?" एक बूढ़ा यात्री बोला -"यह मेरा पर्स है। इसे कृपया मुझे दे दें।"टी.टी.ई. ने कहा -"तुम्हें यह साबित करना होगा कि यह पर्स तुम्हारा ही है। केवल तभी मैं यह पर्स तुम्हें लौटा सकता हूं।"उस बूढ़े व्यक्ति ने दंतविहीन मुस्कान के साथ उत्तर दिया -"इसमें भगवान श्रीकृष्ण की फोटो है।"टी.टी.ई. ने कहा -"यह कोई ठोस सबूत नहीं है। किसी भी व्यक्ति के पर्स में भगवान श्रीकृष्ण की फोटो हो सकती है। इसमें क्या खास बात है? पर्स में तुम्हारी फोटो क्यों नहीं है?" बूढ़ा व्यक्ति ठंडी गहरी सांस भरते हुए बोला -"मैं तुम्हें बताता हूं कि मेरा फोटो इस पर्स में क्यों नहीं है। जब मैं स्कूल में पढ़ रहा था, तब ये पर्स मेरे पिता ने मुझे दिया था। उस समय मुझे जेबखर्च के रूप में कुछ पैसे मिलते थे। मैंने पर्स में अपने माता- पिता की फोटो रखी हुयी थी। जब मैं किशोर अवस्था में पहुंचा, मैं अपनी कद-काठी पर मोहित था। मैंने पर्स में से माता-पिता की फोटो हटाकर अपनी फोटो लगा ली। मैं अपने सुंदर चेहरे और काले घने बालों को देखकर खुश हुआ करता था। कुछ साल बाद मेरी शादी हो गयी। मेरी पत्नी बहुत सुंदर थी और मैं उससे बहुत प्रेम करता था। मैंने पर्स में से अपनी फोटो हटाकर उसकी लगा ली। मैं घंटों उसके सुंदर चेहरे को निहारा करता। जब मेरी पहली संतान का जन्म हुआ, तब मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ। मैं अपने बच्चे के साथ खेलने के लिए काम पर कम समय खर्च करने लगा। मैं देर से काम पर जाता ओर जल्दी लौट आता। कहने की बात नहीं, अब मेरे पर्स में मेरे बच्चे की फोटो आ गयी थी।" बूढ़े व्यक्ति ने डबडबाती आँखों के साथ बोलना जारी रखा -"कई वर्ष पहले मेरे माता-पिता का स्वर्गवास हो गया। पिछले वर्ष मेरी पत्नी भी मेरा साथ छोड़ गयी। मेरा इकलौता पुत्र अपने परिवार में व्यस्त है। उसके पास मेरी देखभाल का क्त नहीं है। जिसे मैंने अपने जिगर के टुकड़े की तरह पाला था, वह अब मुझसे बहुत दूर हो चुका है। अब मैंने भगवान कृष्ण की फोटो पर्स में लगा ली है। अब जाकर मुझे एहसास हुआ है कि श्रीकृष्ण ही मेरे शाश्वत साथी हैं। वे हमेशा मेरे साथ रहेंगे। काश मुझे पहले ही यह एहसास हो गया होता। जैसा प्रेम मैंने अपने परिवार से किया, वैसा प्रेम यदि मैंने ईश्वर के साथ किया होता तो आज मैं इतना अकेला नहीं होता।" टी.टी.ई. ने उस बूढ़े व्यक्ति को पर्स लौटा दिया। अगले स्टेशन पर ट्रेन के रुकते ही वह टी.टी.ई. प्लेटफार्म पर बने बुकस्टाल पर पहुंचा और विक्रेता से बोला -"क्या तुम्हारे पास भगवान की कोई फोटो है? मुझे अपने पर्स में रखने के लिए चाहिए।"

Sunday, July 13, 2014

Life


एक दंपत्ति  की शादी को साठ वर्ष हो चुके थे। उनकी आपसी समझ इतनी अच्छी थी कि इन साठ वर्षों में उनमें कभी झगड़ा तक नहीं हुआ। वे एक दूजे से कभी कुछ भी नहीं छिपाते थे। हां, पत्नी  के पास उसके मायके से लाया हुआ एक डिब्बा 📦 था जो उसने अपने पति  के सामने कभी नहीं खोला था। उस डिब्बे में क्या है वह नहीं जानता था। कभी उसने जानने की कोशिश भी की तो पत्नी ने यह कह कर टाल दिया कि सही समय आने पर बता दूंगी। 😦 आखिर एक दिन बुढि़या बहुत बीमार हो गई और उसके बचने की आशा न रही। उसके पति को तभी ख्याल आया कि उस डिब्बे का रहस्य जाना जाये। बुढि़या बताने को राजी हो गई। पति ने जब उस डिब्बे को खोला तो उसमें हाथ से बुने हुये दो रूमाल  और 50,000 रूपय 💸निकले। उसने पत्‍‌नी से पूछा, "यह सब क्या है?"  पत्नी ने बताया, "जब उसकी शादी हुई थी तो उसकी दादी ने उससे कहा था कि ससुराल में कभी किसी से झगड़ना नहीं। यदि कभी किसी पर क्रोध आये तो अपने हाथ से एक रूमाल बुनना और इस डिब्बे में रखना।" बूढ़े की आंखों में यह सोचकर खुशी के मारे आंसू आ गये कि उसकी पत्नी को साठ वर्षों के लम्बे वैवाहिक जीवन के दौरान सिर्फ दो बार ही क्रोध आया था। 😤 उसे अपनी पत्‍‌नी पर सचमुच गर्व हुआ। खुद को संभाल कर उसने रूपयों के बारे में पूछा, "इतनी बड़ी रकम तो मैंने तुम्हे कभी दी ही नहीं थी, फिर ये कहां से आये?" "रूपये! वे तो मैंने रूमाल बेच बेच कर इकठ्ठे किये हैं।" पत्नी ने मासूमियत से जवाब दिया।

Wednesday, July 9, 2014

How to Do Business

You all know KBC is Good Business. But have you ever pondered how  well?????

Any guesses?????

Let's see...

Airtel / Idea is charging Rs.6 per SMS sent for this contest. Assuming there are only 100 entries from say 10 cities of some 20 districts and 20 states...

6 (Rs. per SMS) x 100 (entries) x 10 (cities) x 20 (districts) x 20 (states) i.e. = 6 x 100 x 10 x 20 x 20 = Rs.24,00,000.

Rs.24 lakh in just 20 minutes (from people trying for the Rs.2 lakh cash prize). Imagine the scenario if 1000 entries try out from 100 cities?

The figure simply grows by 2 more zeroes and yields a whopping Rs.24 crore!!!!!

And it does not stop there. In practice, it could be another multiple of 100 or a multiple of 1000 on an average. In that case, it is 24 x 100 crore earnings in just 20 minutes on every episode!!!

And the prize money: A mere Rs.2 crore!!!!! (and from whose pocket?????)

Smart Business By Siddharth Basu! And the best part of the above calculation is just the SMS earning!!!!! What about the Ad money?????

A rough annual profit calculation goes like this:

(2400 x 5 x 4) (episode/month) x 12 = Rs.5,76,000 crore.

Let even 50% get dissolved in taxes and other payments; still, you will be left with (which includes

even the meagre Rs.480 crore of prize money, i.e., if every episode bags Rs.2 crore prize) –Rs.2,88,000 crore profit!!!!! (Only from SMS).

Therefore, a Very Simple Question: "KAUN BANEGA CROREPATI" and your options are...

A) SONY TV

B) AIRTEL

C) AMITABH BACHHAN

D) SIDDHARTH BASU

Computerji, iska jawab bataiye....j

Answer: All FOUR..!!!!

Friday, July 4, 2014

Parenting

Guys Read COMPLETE message if you don't want to miss smthng gr8......                     A man was an avid gardner... Saw a small butterfly laying a few eggs in one of the pots in his garden since that day he looked at the egg with ever growing curiosity and eagerness. The egg started to move and shake a little. He was exited to see a new life coming up right in front of his eyes. He spent hours watching the egg now. The egg started to expand and develop cracks.. A tiny head and antennae started to come out ever so slowly. The man's excitement knew no bounds he got his magnifying glasses and sat to watch the life and body of a pupa coming out. He saw the struggle of the tender pupa and couldn't resisit his urge to HELP. He went and got a tender forcep the help the egg break, a nip here a nip there to help the struggling life. And LO! The pupa was out the man was ecstatic! He waited now each day for the pupa to grow and fly abt like a beautiful butterfly, but Alas that never happened the larvae pupa had a oversized head and kept crawling along in the pot for the full 4 weeks and died! Depressed the man went to his botanist friend and asked the reason. His friend told him the struggle to break out of the egg helps the larvae to send blood to its wings and the head push helps the head to remain small so that the tender wings can support it thru its 4 week life cycle, in his eagerness to help the man destroyed a beautiful life! Struggles help all of us, that's why a wee bit of effort goes a long way to develop our strength to face life's difficulties!

As parents, we sometimes go too far trying to help and protect
our kids from life's harsh realities and disappointments. We
don't want our kids to struggle like we did.
But Harvard psychiatrist Dr. Dan Kindlon says that
overprotected children are more likely to struggle in
relationships and with challenges.
We're sending our kids the message that they're not capable
of helping themselves.
To quote clinical psychologist Dr. Wendy Mogel:
"It  is  Our  Job  to  prepare Our  Children  for  the  Road...,  & 
Not  prepare  the  road  for  Our  Children..."
All parents. Do read it

India se भारत

मित्रों दो दिन पहले समाचार चैनेलो ने एक छोटी सी खबर नीचे की पट्टी में चलायी थी की मोदी ने आईएनएस मैसूर को ईराक में फसे लोगो के लिए रवाना किया।।

चूकी दलाल मिडिया ने इस पर कोई डिबेट नहीं की अतः हमने इसे छोटी सी खबर मान लिया।
मगर क्या आप ने सोचा है सिर्फ चंद भारतियों के लिए नेवी का वारशिप भेजने की क्या आवश्यकता थी??
ये सिर्फ इराक में फसे भारतियों को निकालने के लिए नहीं है।।

ख़ुफ़िया स्तर पर इसके क्या मायने हैं ये तो खबर बाहर नहीं आ पायेगी मगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ये एक बड़ा सामरिक सन्देश है अमरीका समेत विश्व के अन्य देशो को भी।।
इससे पहले जब कोई अंतर्राष्ट्रीय संकट आता था तो सिर्फ अमरीका, रूस या एक दो अन्य देश अपने वारशिप भेजते थे।अमरीका इस मुद्दे को लटका रहा था क्युकी ISIS के आतंकियों को ट्रेनिंग अमरीका ने ही दिया है।।
मगर अमरीका से अलग जाते हुए अबकी बार मोदी ने तुरंत निर्णय लेते हुए इस वारशिप को रवाना कर दिया।। दूसरी और रूस के विमान ISIS की कमर तोड़ रहे हैं।
अन्तरराष्ट्री बिरादरी में ये सन्देश गया की भारतीयों की जान अब कांग्रेस के जमाने की तरह सस्ती नहीं ।भारत अपने नागरिको की रक्षा हेतु कभी भी कहीं भी आपरेशन कर सकता है एवं भारत में भी मजबूत निर्णय लेने वाला एक नेतृत्त्व है। आतंकियों में भी ये सन्देश गया की एक तरफ रुसी विमान है तो दूसरी और जरुरत पड़ने पर भारत भी आपरेशन शुरू कर सकता है।।
इस प्रकार भारत सरकार और नरेन्द्र मोदी ने अपने एक निर्णय से सेनाओ का मनोबल बढाते हुए अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को भी भारत में एक रीढ़ वाले राजनितिक नेतृत्त्व का संकेत दे दिया है जो जरुरत पड़ने पर अमरीका जैसी महाशक्ति से इतर भी निर्णय ले सकता है।।

ऐसे जानदार निर्णय का तहे दिल से स्वागत होना चाहिए और देश के लोगो को जानकारी होनी चाहिए....
शाबाश देश वासियों.... आपके एक एक वोट से देश गोरान्वित हुआ है... नमो का शाशन आया है ...
सबको बताये जरूर...


Father to Son

Beautiful letter written by a father to his son ��

Following is a letter to his son from a renowned Hong Kong TV broadcaster cum Child Psychologist.
The words are actually applicable to all of us, young or old, children or parents.!
This applies to daughters too. All parents can use this in their teachings to their children.

Dear son ,

I am writing this to you because of 3 reasons

1. Life, fortune and mishaps are unpredictable, nobody knows how long he lives. Some words are better said early.

2. I am your father, and if I don't tell you these, no one else will.

3. What is written is my own personal bitter experiences that perhaps could save you a lot of unnecessary heartaches. Remember the following as you go through life

1. Do not bear grudge towards those who are not good to you. No one has the responsibility of treating you well, except your mother and I.
To those who are good to you, you have to treasure it and be thankful, and ALSO you have to be cautious, because, everyone has a motive for every move. When a person is good to you, it does not mean he really likes you. You have to be careful, don't hastily regard him as a real friend.

2. No one is indispensable, nothing is in the world that you must possess.
Once you understand this idea, it would be easier for you to go through life when people around you don't want you anymore, or when you lose what/who you love most.

3.Life is short.
When you waste your life today, tomorrow you would find that life is leaving you. The earlier you treasure your life, the better you enjoy life.

4.Love is but a transient feeling, and this feeling would fade with time and with one's mood. If your so called loved one leaves you, be patient, time will wash away your aches and sadness.
Don't over exaggerate the beauty and sweetness of love, and don't over exaggerate the sadness of falling out of love.

5.A lot of successful people did not receive a good education, that does not mean that you can be successful by not studying hard! Whatever knowledge you gain is your weapon in life.
One can go from rags to riches, but one has to start from some rags!

6.I do not expect you to financially support me when I am old, neither  would I financially support your whole life. My responsibility as a supporter ends when you are grown up. After that, you decide whether  you want to travel in a public transport or in your limousine, whether rich or poor.

7.You honour your words, but don't expect others to be so. You can be good to people, but don't expect people to be good to you. If you don't understand this, you would end up with unnecessary troubles.

8. I have bought lotteries for umpteen years, but I could never strike any prize. That shows if you want to be rich, you have to work hard! There is no free lunch!

9. No matter how much time I have with you, let's treasure the time we have together. We do not know if we would meet again in our next life.

Your Dad

Thursday, July 3, 2014

Your Deeds

एक बर्फ बनाने की विशाल फैक्ट्री थी!
हजारों टन बर्फ हमेशा बनता था !
सैकड़ों मजदूर व अन्य कर्मचारी एवं
अधिकारी वहां कार्य करते थे ! उन्ही में से
था एक कर्मचारी अखिलेश ! अखिलेश उस
फैक्ट्री में पिछले बीस वर्षों से कार्य कर रहा था ! उसके मृदु व्यहार, ईमानदारी,एवं काम
के प्रति समर्पित भावना के कारण
वो उन्नति करते करते उच्च सुपरवाइजर के
पद पर पहुँच गया था ! उसको फैक्ट्री के हर
काम की जानकारी थी ! जब भी कोई
मुश्किल घडी होती सब, यहाँ तक की फैक्ट्री के मालिक भी उसी को याद
करते थे और वह उस मुश्किल
पलों को चुटकियों में हल कर देता था !
इसी लिए फैक्ट्री में
सभी लोग ,कर्मचारी ,व् अन्य
अधिकारी उसका बहुत मान करते थे ! इन सब के अलावा उसकी एक
छोटी सी अच्छी आदत और थी वह जब
भी फैक्ट्री में प्रवेश करता फैक्ट्री के गेट पर
तैनात सुरक्षा गार्ड से ले कर
सभी अधिनिस्त कर्मचारियों से
मुस्कुरा कर बात करता उनकी कुशलक्षेम पूछता और फिर अपने कक्ष में जा कर अपने
काम में लग जाता !और यही सब वह जब
फैक्ट्री का समय समाप्त होने पर घर पर जाते
समय करता था !
एक दिन फैक्ट्री के मालिक ने अखिलेश
को बुला कर कहा " अखिलेश एक मल्टी नेशनल कम्पनी जो की आइसक्रीम
बनती है ने हमें एक बहुत बड़ा आर्डर दिया है
और हमें इस आर्डर को हर हाल में नीयत
तिथि तक पूरा करना है
ताकि कंपनी की साख और लाभ दोनों में
बढ़ोतरी हो तथा और नई मल्टी नेशनल कंपनियां हमारी कंपनी से जुड़ सके ! इस
काम को पूरा करने के लिए तुम कुछ भी कर
सकते हो चाहे कर्मचारियों को ओवरटाइम
दो बोनस दो या और नई भर्ती करो पर
आर्डर समय पर पूरा कर
पार्टी को भिजवाओ "अखिलेश ने कहा ठीक है में इस आर्डर को समय पर
पूरा कर दूंगा ! मालिक ने मुस्कुरा कर
अखिलेश से कहा "मुझे तुमसे इसी उत्तर
की आशा थी" अखिलेश ने
सभी मजदूरों को एकत्रित किया और
आर्डर मिलाने की बात कही और कहा "मित्रो हमें हर हाल में ये आर्डर
पूरा करना है इसके लिए
सभी कर्मचारियों को ओवरटाइम, बोनस
सभी कुछ मिलेगा साथ ही ये
कंपनी की साख का भी सवाल है "!एक
तो कर्मचारियों का अखिलेश के प्रति सम्मान की भावना तथा दूसरी और
ओवरटाइम व बोनस मिलाने
की ख़ुशी ,सभी कर्मचरियों ने हां कर दी !
फैक्ट्री में दिन रात युद्धस्तर पर काम चालू
हो गया !अखिलेश स्वयं
भी सभी कर्मचारियों का होसला बढ़ाता हुआ उनके कंधे से कन्धा मिला कर काम कर
रहा था ! उन सभी की मेहनत रंग लाइ और
समस्त कार्य नीयत तिथि से पूर्व
ही समाप्त हो गया ! साडी की साडी बर्फ
शीतलीकरण (कोल्ड स्टोरेज) कक्ष जो एक
विशाल अत्याधुनिक तकनीक से बना हुआ तथा कम्प्यूटराइज्ड था , में पेक कर के जमा कर
दी गई ! सभी कर्मचारी काम से थक गए थे
इस लिए उस रोज काम बंद कर
सभी कर्मचारियों की छुट्टी कर दी गई
सभी कर्मचारी अपने अपने घर की तरफ
प्रस्तान करने लगे ! अखिलेश ने सभी कार्य की जांच की और वह भी घर जाने
की तैयारी करने लगा जाते जाते उसने
सोचा चलो एक बार शीतलीकरण कक्ष
की भी जाँच कर ली जाये
की सारी की सारी बर्फ पैक्ड और सही है
की नहीं ,यह सोच वो शीतलीकरण कक्ष को खोल कर उसमे प्रवेश कर गया ! उसने घूम
फिर कर सब चेक किया और सभी कुछ
सही पा कर वह जाने को वापस मुडा ! पर
किसी तकनीकी खराबी के कारण
शीतलीकरण कक्ष का दरवाजा स्वतः ही बंद
हो गया ! दरवाजा ऑटोमेटिक था तथा बाहर से ही खुलता था इस लिए उसने दरवाजे
को जोर जोर से थपथपाया पर
सभी कर्मचारी जा चुके थे उसकी थपथपाहट
का कोई असर नहीं हुआ उसने
दरवाजा खोलने की बहुत कोशिश की पर
सब कुछ बेकार रहा ! दरवाजा केवल बाहर से ही खुल सकता था !अखिलेश
घबरा गया उसने और जोर से दरवाजे
को पीटा जोर से चिल्लाया पर कोई
प्रतिक्रिया नहीं हुई ! अखिलेश सोचने
लगा की कुछ ही घंटों में शीतलीकरण कक्ष
का तापक्रम शून्य डिग्री से भी कम हो जायेगा ऐसी दशा में मेरा खून
का जमना निश्चित है ! उसे अपनी मोत
नजदीक दिखाई देने लगी !उसने एक बार
पुनः दरवाजा खोलने की कोशिश की पर सब
कुछ व्यर्थ रहा !कक्ष का ताप धीरे धीरे कम
होता जा रहा था ! अखिलेश का बदन अकड़ने लगा ! वो जोर जोर से अपने आप को गर्म
रखने के लिए भाग दौड़ करने लगा ! पर कब
तक आखिर थक कर एक स्थान पर बैठ गया !
ताप शुन्य डिग्री की तरफ बढ़ रहा था !
अखिलेश की चेतना शुन्य होने लगी ! उसने
अपने आप को जाग्रत रखने की बहुत कोशिश की पर सब निष्फल रहा ! ताप के
और कम होने पर उसका खून जमने के कगार
पर आ गया ! और अखिलेश भावना शुन्य
होने लगा ! मोत निश्चित जान वह अचेत
हो कर वही ज़मीन पर गिर पड़ा ! कुछ
ही समय पश्चात दरवाजा धीरे से खुला ! एक साया अंदर आया उसने अचेत अखिलेश
को उठाया और शीतलीकरण कक्ष से बाहर
ला कर लिटाया उसे गर्म कम्बल से ढंका और
पास ही पड़ा फैक्ट्री के कबाड़ को एकत्रित
कर उसमे आग जलाई ताकि अखिलेश
को गर्मी मिल सके और उसका रक्तसंचार सुचारू हो सके ! गर्मी पाकर अखिलेश के
शरीर में कुछ शक्ति आई उसका रक्तसंचार
सही होने लगा ! आधे घंटे के बाद अखिलेश
के शरीर में हरकत होने
लगी उसका रक्तसंचार सही हुआ और उसने
अपनी आँखे खोली !उसने सामने गेट पर पहरा देने वाले सुरक्षा गार्ड शेखर को पाया !
उसने शेखर से पुछा मुझे बाहर किसने
निकला और तुम तो में गेट पर रहते
हो तुम्हारा तो फैक्ट्री के अंदर कोई कार्य
भी नहीं फिर तुम यहाँ कैसे आये ?शेखर ने
कहा "सर में एक मामूली सा सुरक्षा गार्ड हूँ ! फैक्ट्री में प्रवेश करने वाले प्रत्येक पर
निगाहे रखना तथा सभी कर्नचारियों व
अधिकारियो को सेल्यूट करना ये
ही मेरी ड्यूटी है ! मेरे अभिवादन पर
अधिकतर कोई ध्यान
नहीं देता कभी कभी कोई मुस्कुरा कर अपनो गर्दन हिला देता है !पर सर एक आप
ही ऐसे इंसान है जो प्रतिदिन मेरे
अभिवादन पर मुस्कुरा कर अभिवादन
का उत्तर देते थे साथ ही मेरी कुशलक्षेम
भी पूछते थे ! आज सुबह भी मेने
आपको अभिवादन किया आपने मुस्कुरा कर मेरे अभिवादन का उत्तर
दिया और मेरे हालचाल पूछे! मुझे मालूम
था की इन दिनों फैक्ट्री में बहुत काम चल
रहा है जो आज समाप्त हो जायेगा ! और काम
समाप्त भी हो गया सभी लोग अपने अपने
घर जाने लगे ! जब सब लोग दरवाजे से निकल गए तो मुझे आप की याद आई
की रोज आप मेरे से बात कर के घर जाते थे पर
आज दिखी नहीं दिए ! मेने सोचा शायद
अंदर काम में लगे होंगे ! पर सब के जाने के बाद
भी बहुत देर तक आप बहार आते
दिखी नहीं दिए तो मेरे दिल में कुछ शंकाएं उत्पन्न होने लगी !
क्यों की फैक्ट्री के जाने आने
का यही एकमात्र रास्ता है इसी लिए में
आपको ढूंढते हुए फैक्ट्री के अंदर आ गया !
मेने आपका कक्ष देखा मीटिंग हाल
देखा बॉस का कक्ष देखा पर आप कही दिखाई नहीं दिए !मेरा मन शंका से
भर गया की आप कहाँ गए ?कोई निकलने
का दूसर रास्ता भी नहीं है !में वापस जाने
लगा तो सोचा चलो शीतलीकरण कक्ष
भी देख लू ! पर वो बंद था !में वापस जाने
को मुडा पर मेरे दिल ने कहा की एक बार इस शीतलीकरण कक्ष को खोल कर भी देखूं ! में
आपात्कालीन चाबियाँ जो मेरे पास
रहती है ,से कक्ष
खोला तो आपको यहाँ बेहोश पाया !
अखिलेश एक टक शेखर के चहरे की और देखे
जा रहा था उसने सपने में भी नहीं सोचा था की उसकी एक
छोटी सी अच्छी आदत का प्रतिफल उसे
इतना बड़ा मिलेगा !उसकी आँखों में आंसू
भर आये उसने उठ कर शेखर को गले
लगा लिया ! अगर दोस्तों को इस कहानी में कुछ सार
नजर आये तो कोशिश करे की इस ग्रुप के
सभी सदस्य इस कहानी को पढ़ सके और
एक अच्छी आदत चाहे वह
छोटी सी ही क्यों ना हो अपने जीवन में
उत्तर सकें