Friday, July 18, 2014

कुछ अच्छे शेरों का संकलन


ख़्वाहिशों के क़ाफ़िले
बड़े अजीब होते हैं,
ये गुज़रते वहीं से हैं
जहाँ रास्ते नहीं होते ।

ग़ज़ब का हौसला दिया है
खुदा ने हम इन्सानों को,
वाक़िफ़ हम अगले पल से भी नहीं
और वादे ज़िंदगी भर के होते है ।

सीढियाँ उन्हे मुबारक हो,
जिन्हे छत तक जाना है...
मेरी मंझिल तो आसमान है,
रास्ता मुझे खुद बनाना है...

मैखाने मे आऊंगा मगर...
पिऊंगा नही साकी...
ये शराब मेरा गम मिटाने की
औकात नहीं रखती......

खामोश बैठें तो लोग कहते हैं
उदासी अच्छी नहीं,
ज़रा सा हँस लें तो
मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं" !!

हद-ए-शहर से निकली
तो गाँव गाँव चली।
कुछ यादें मेरे संग
पांव पांव चली।
सफ़र जो धूप का किया
तो तजुर्बा हुआ।
वो जिंदगी ही क्या
जो छाँव छाँव चली।

तू होश में थी फिर भी
हमें पहचान न पायी;
एक हम है कि पी कर भी
तेरा नाम लेते रहे!

हजार जवाबों से अच्छी है खामोशी,
ना जाने कितने सवालों की
आबरू रखती है !

सूरज ढला तो
कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी,
यहीं परछाइयां हमने..

काग़ज़ की कश्ती थी
पानी का किनारा था।
खेलने की मस्ती थी
ये दिल अवारा था।
कहाँ आ गए
इस समझदारी के दलदल में।
वो नादान बचपन ही
कितना प्यारा था ...!

जमीन छुपाने के लिए
गगन होता है...
दिल छुपाने के लिए
बदन होता है....
शायद मरने के बाद भी
छुपाये जाते है गम....
इस लिए हर लाश पे
कफ़न होता है

मेरे लफ़्ज़ों से न कर
मेरे क़िरदार का फ़ैसला ll
तेरा वज़ूद मिट जायेगा
मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते l

कबर की मिट्टी
हाथ में लिए सोच रहा हूं,
लोग मरते हैं तो
गुरूर कहाँ जाता है..