Friday, October 31, 2014

पिज्जा...

 पत्नी ने कहा - आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…

- क्यों?? उसने कहा..

- अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी…

- क्यों??

- गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…

- ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…

- और हाँ!!! गणपति के लिए पाँच सौ रूपए दे दूँ उसे? त्यौहार का बोनस..

- क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…

- अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी-नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा… और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!

- तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो…

- अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ… खामख्वाह 💵पाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…

- वा, वा… क्या कहने!! हमारे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में??

तीन दिन बाद
… पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा...

- क्या बाई?, कैसी रही छुट्टी?

- बहुत बढ़िया हुई साहब… दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना.. त्यौहार का बोनस..

- तो जा आई बेटी के यहाँ…मिल ली अपने नाती से…?

- हाँ साब… मजा आया, दो दिन में ५०० रूपए खर्च कर दिए…

- अच्छा!! मतलब क्या किया ५०० रूपए का??

- नाती के लिए १५० रूपए का शर्ट, ४० रूपए की गुड़िया, बेटी को ५० रूपए के पेढे लिए, ५० रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, ६० रूपए किराए के लग गए.. २५ रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और जमाई के लिए ५० रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा… बचे हुए ७५ रूपए नाती को दे दिए कॉपी-पेन्सिल खरीदने के लिए… झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर रटा हुआ था…

- ५०० रूपए में इतना कुछ??? वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा...

उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा… अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा… पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का, तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का, पाँचवाँ गुड़िया का, छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी-पेन्सिल का..

आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है… लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू दिखा दी थी… पिज्जा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे… “जीवन के लिए खर्च” या “खर्च के लिए जीवन” का नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ गया

Tuesday, October 28, 2014

बोध कथा


एक बार एक महात्मा ने अपने शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल
से प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बडे़ आलू साथ
लेकर आयें, उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम
लिखा होना चाहिये जिनसे वे ईर्ष्या करते हैं । जो व्यक्ति जितने
व्यक्तियों से घृणा करता हो, वह उतने आलू लेकर आये ।
अगले दिन सभी लोग आलू लेकर आये, किसी पास चार आलू थे,
किसी के पास छः या आठ और प्रत्येक आलू पर उस
व्यक्ति का नाम लिखा था जिससे वे नफ़रत करते थे ।
अब महात्मा जी ने कहा कि, अगले सात दिनों तक ये आलू आप
सदैव अपने साथ रखें, जहाँ भी जायें, खाते-पीते, सोते-जागते, ये
आलू आप सदैव अपने साथ रखें । शिष्यों को कुछ समझ में
नहीं आया कि महात्मा जी क्या चाहते हैं, लेकिन महात्मा के आदेश
का पालन उन्होंने अक्षरशः किया । दो-तीन दिनों के बाद
ही शिष्यों ने आपस में एक दूसरे से शिकायत करना शुरू किया,
जिनके आलू ज्यादा थे, वे बडे कष्ट में थे । जैसे-तैसे उन्होंने सात
दिन बिताये, और शिष्यों ने महात्मा की शरण ली । महात्मा ने
कहा, अब अपने-अपने आलू की थैलियाँ निकालकर रख दें,
शिष्यों ने चैन की साँस ली ।
महात्माजी ने पूछा – विगत सात दिनों का अनुभव कैसा रहा ?
शिष्यों ने महात्मा से अपनी आपबीती सुनाई, अपने
कष्टों का विवरण दिया, आलुओं की बदबू से होने वाली परेशानी के
बारे में बताया, सभी ने कहा कि बडा हल्का महसूस हो रहा है…
महात्मा ने कहा – यह अनुभव मैने आपको एक शिक्षा देने के
लिये किया था…
जब मात्र सात दिनों में ही आपको ये आलू बोझ लगने लगे, तब
सोचिये कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या या नफ़रत करते हैं,
उनका कितना बोझ आपके मन पर होता होगा, और वह बोझ आप
लोग तमाम जिन्दगी ढोते रहते हैं, सोचिये कि आपके मन और
दिमाग की इस ईर्ष्या के बोझ से क्या हालत होती होगी ? यह
ईर्ष्या तुम्हारे मन पर अनावश्यक बोझ डालती है, उनके कारण
तुम्हारे मन में भी बदबू भर जाती है, ठीक उन आलुओं की तरह….
इसलिये अपने मन से इन भावनाओं को निकाल दो,
यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफ़रत मत
करो, तभी तुम्हारा मन स्वच्छ, निर्मल और हल्का रहेगा,
वरना जीवन भर इनको ढोते-ढोते तुम्हारा मन भी बीमार हो जायेगा 

Monday, October 27, 2014

गाय एक अद्भुत रसायनशाला है ।


" जननी जनकार ढूध पिलाती , केवल साल छमाही भर ;
" गोमाता पय-सुधा पिलाती , रक्षा करती जीवन भर " ।

- अमेरिका के कृषि विभाग द्वारा प्रकाशित हुई पुस्तक " THE COW IS A WONDERFUL LABORATORY " के अनुसार प्रकृति ने समस्त जीव-जंतुओं और सभी दुग्धधारी जीवों में केवल गाय ही है जिसे ईश्वर ने 180 फुट (2160 इंच ) लम्बी आंत दी है जो की एनी पशुओ में ऐसा नहीं है जिसके कारण गाय जो भी खाती-पीती है वह अंतिम छोर तक जाता है ।

लाभ :- जिस प्रकार दूध से मक्खन निकालने वाली मशीन में जितनी अधिक गरारियां लगायी जाती है उससे उतना ही वसा रहित मक्खन निकलता है , इसीलिये गाय का दूध सर्वोत्तम है ।

गो वात्सल्य :- गौ माता बच्चा जनने के 18 घंटे तक अपने बच्चे के साथ रहती है और उसे चाटती है इसीलिए वह लाखो बच्चों में भीवह अपने वच्चे को पहचान लेती है जवकि भैस और जरसी अपने बच्चे को नहीं पहचान पायेगी । गाय जब तक अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाएगी तब तक ढूध नहीं देती है , जबकि भैस , जर्सी होलिस्टयन के आगे चारा डालो और ढूध दुह लो ।

*** बच्चो में क्रूरता इसीलिए बढ़ रही है क्योकि जिसका ढूध पी रहे है उसके अन्दर ममता नहीं है ।

खीस :- बच्चा देने के गाय के स्तन से जो दूध निकलता है उसे खीस, चाका, पेवस, कीला कहते है , इसे तुरंत गर्म करने पर फट जाता है । वच्चा देने के 15 दिनों तक इसके दूध में प्रोटीन की अपेक्षा खनिज तत्वों की मात्रा अधिक होती है , लेक्टोज , वसा ( फैट ) एवं पानी की मात्रा कम होती है ।
खीस वाले दूध में एल्व्युमिन दो गुनी , ग्लोव्लुलिन 12-15 गुनी तथा एल्युमीनियम की मात्रा 6 गुनी अधिक पायी जाती है ।
लाभ:- खीज में भरपूर खनिज है यदि काली गौ का ढूध ( खीझ) एक हफ्ते पिला देने से वर्षो पुरानी टी वी ख़त्म हो जाती है ।

सींग :- गाय की सींगो का आकर सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है , जो कि शक्तिशाली एंटीना की तरहआकाशीय उर्जा ( कोस्मिक एनर्जी ) को संग्रह करने का कार्य सींग करते है ।

गाय का ककुद्द ( ढिल्ला ) :- गाय के कुकुद्द में सुर्य्केतु नाड़ी होती है जो सूर्य से अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकती है , 40 मन ढूध में लगभग 10 ग्राम सोना पाया जाता है जिससे शारीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है इसलिए गाय का घी हलके पीले रंग का होता है ।

गाउ का दूध :- गाय के दूध के अन्दर जल 87 % वसा 4 %, प्रोटीन 4% , शर्करा 5 % , तथा अन्य तत्व 1 से 2 % प्रतिसत पाया जाता है ।

गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन , 11 प्रकार के विटामिन्स , गाय के दूध में ' कैरोटिन ' नामक प्रदार्थ भैस क्र दस गुना अधिक होता है ।

भैस का दूध गर्म करने पर उसके पोषक ज्यादातर ख़त्म हो जाते है परन्तु गाय के दुध के पोषक तत्व गर्म करने पर भी सुरक्षित रहता है ।

गाय का गोमूत्र :- गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है , इसके अन्दर ' कार्बोलिक एसिड ' होता है जो कीटाणु नासक है , गौ मूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे ख़राब नहीं होता है इसमें कैसर को रोकने वाली ' करक्यूमिन ' पायी जाती है ।

गौ मूत्र में नाइट्रोजन ,फास्फेट, यूरिक एसिड , पोटेशियम , सोडियम , लैक्टोज , सल्फर, अमोनिया, लवण रहित विटामिन ए वी सी डी ई , इन्जैम आदि तत्व पाए जाते है ।

देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से ' प्रोपिलीन ऑक्साइड " उत्पन्न होती है जो वारिस लाने में सहायक होती है । इसी के मिश्रण से ' इथिलीन ऑक्साइड ' गैस निकलती है जो ओपरेशन थियटर में काम आता है ।
गौ मूत्र में मुख्यतः 16 खनिज तत्व पाये जाते है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है ।

गाय का शरीर :- गाय के शरीर से पवित्र गुग्गल जैसी सुगंध आती है जो वातावरण को शुद्ध और पवित्र करती है ।

कृपया हिंदुत्व व आध्यात्म के ज्ञान को और अटूट करने के लिए शेयर करें ... _/|\_

जय गौ माता ... जय हिंदुत्व ...

जय हिन्द .... वन्देमातरम ....

Saturday, October 25, 2014

Water

पानी तेरे कितने नाम..........

पानी आकाश से गिरे तो...........बारिश,

आकाश की ओर उठे तो.............भाप,

अगर जम कर गिरे तो................ओले,

अगर गिर कर जमे तो.................बर्फ,

फूल पर हो तो........................ ओस,

फूल से निकले तो.....................इत्र,

जमा हो जाए तो...................... झील,

बहने लगे तो............................ नदी,

सीमाओं में रहे तो.................. जीवन,

सीमाएं तोड़ दे तो....................प्रलय,

आँख से निकले तो.................. आँसू,

शरीर से निकले तो................ पसीना,

और

मेरे महादेव के शीश से निकले तो...........गंगा

Thursday, October 23, 2014

Safety Tips

अगर आप रात में गाड़ी चला रहे हैं और कोई आपके WINDSCREEN पर अंडे फेंके तो कार की जांच के लिए रोकें नहीं,
वाइपर संचालित भी ना करें और किसी भी तरह का पानी विंडस्क्रीन पे ना डाले,
क्योंकि अंडे के साथ मिश्रित पानी दूधिया बन जाता है और आपकी दृष्टि को 92.5% तक के लिए ब्लॉक कर देता है और फिर आपको मजबूरन गाडी को सड़क के बगल में बंद करना पड़ता है और फिर आप पहले से घात लगाये बैठे अपराधियों का शिकार बन जाते है। यह एक नई तकनीक है इसका प्रयोग आजकल हाईवे पे अपराधिक गिरोहो द्वारा किया जाता है कृपया अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को जरुर सूचित करें।


 जरूर पढेँ... और send
करना मत भूलेँ .?
यदि कोई
ATM CARD समेत
आपका अपहरण कर ले
तो विरोध मत कीजिए ।
अपहर्ता की इच्छानुसार
ATM मशीन  मेँ कार्ड
डालिए ।
आपका कोड वर्ड रिवर्स
मेँ डायल कीजिए । जैसे
यदि आपका कोड
1234 की जगह 4321
डायल कीजिए । ऐसा करने
पर ATM खतरे
को भाँपकर
पैसा तो निकालेगा..
लेकिन आधा ATM मशीन मेँ
फँसा रह जायेगा ।
इसी बीच मेँ ATM मशीन
खतरे को भाँपकर बैंक
और नजदीकी पुलिस स्टेशन
को सूचित कर देगा और
साथ ...
ही ATM का डोर
ऑटो लॉक हो जाएगा ।
इस तरह बगैर
अपहर्ता को भनक लगे आप
सुरक्षित बच जाएँगे ।
ATM मेँ पहले से
ही सिक्योरिटी मैकेनिजम
है जिसकी जानकारी बहुत
कम
लोगोँ को है ।

शुभ दीपावली

💥💮
हम अपनी  एवं अपने परिवार की ओर से आपको सपरिवार दीपावली  के त्यौहार पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं।
दीपावली का ये पर्व रिद्धि व सिद्धि का  प्रतीक पर्व हैे । अखिल ब्रम्हांड नायक भगवान श्रीहरि विष्णु  जी के हृदय स्थल  मेँ विराजित माता श्री महालक्ष्मीदेवी, अविरल सुख संपति संपदा सोभाग्य समृद्धि व सदभाव की  ज्योति आपके जीवन मेँ जगमगाती रहे तथा श्री गणेशजी व् माँ सरस्वतीजी की कृपा से आपका परिवार संपूर्ण वैभव, सुख,  शिक्षा, सगुण और सहोदर से परिपूर्ण हो  ऐसी हम देवगणों से प्रार्थना करते हैं।
शुभ दीपावली।
💥💮

Wednesday, October 22, 2014

शुभ दिपावली


रात का समय था, चारों तरफ
सन्नाटा पसरा हुआ था , नज़दीक
ही एक कमरे में
चार मोमबत्तियां जल
रही थीं। एकांत पा कर
आज वे एक दुसरे से दिल की बात कर
रही थीं।

पहली मोमबत्ती बोली,
” मैं शांति हूँ ,
पर मुझे लगता है अब इस
दुनिया को मेरी ज़रुरत
नहीं है , हर तरफ
आपाधापी और लूट-मार
मची हुई है, मैं यहाँ अब और
नहीं रह सकती। …”
और ऐसा कहते हुए , कुछ देर में
वो मोमबत्ती बुझ
गयी।

दूसरी मोमबत्ती बोली ,
” मैं विश्वास हूँ , और
मुझे लगता है झूठ और फरेब के बीच
मेरी भी यहाँ कोई ज़रुरत
नहीं है , मैं भी यहाँ से
जा रही हूँ …” , और
दूसरी मोमबत्ती भी बुझ
गयी।

तीसरी मोमबत्ती भी दुखी होते
हुए बोली , ”
मैं प्रेम हूँ, मेरे पास जलते रहने की ताकत है, पर
आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए
किसी के पास वक्त
ही नहीं, दूसरों से तो दूर
लोग अपनों से भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं ,मैं
ये सब और नहीं सह सकती मैं
भी इस दुनिया से
जा रही हूँ….” और ऐसा कहते हुए
तीसरी मोमबत्ती भी बुझ
गयी।

वो अभी बुझी ही थी कि एक
मासूम बच्चा उस
कमरे में दाखिल हुआ।
मोमबत्तियों को बुझे देख वह घबरा गया ,
उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे और वह
रुंआसा होते
हुए बोला ,
“अरे , तुम मोमबत्तियां जल
क्यों नहीं रही ,
तुम्हे तो अंत तक जलना है ! तुम इस तरह बीच
में
हमें कैसे छोड़ के जा सकती हो ?”

तभी चौथी मोमबत्ती बोली ,
” प्यारे बच्चे
घबराओ नहीं, मैं आशा हूँ और जब तक मैं जल
रही हूँ
हम बाकी मोमबत्तियों को फिर से
जला सकते हैं।

यह सुन बच्चे की आँखें चमक उठीं,
और उसने आशा के
बल पे शांति, विश्वास, और प्रेम को फिर से
प्रकाशित कर दिया।

जब सबकुछ बुरा होते दिखे ,चारों तरफ
अन्धकार ही अन्धकार नज़र आये , अपने
भी पराये
लगने लगें तो भी उम्मीद मत
छोड़िये….आशा मत
छोड़िये , क्योंकि इसमें इतनी शक्ति है
कि ये हर
खोई हुई चीज आपको वापस दिल
सकती है।
अपनी आशा की मोमबत्ती को जलाये
रखिये ,बस
अगर ये जलती रहेगी तो आप
किसी भी और
मोमबत्ती को प्रकाशित कर सकते हैं।

💥💥
उजाले के इस त्योहार पर आपको यही पंक्तियां भेंट कर के एक छोटी सी कोशिश कर रहा हूं ताकि आपकी जिंदगी में इन चारों मोमबत्तीयों की रौशनी हमेशा फैली रहे |💥💥
शुभ दिपावली

Monday, October 20, 2014

Sustainability

एक बार एक पजामा पहने हुए इंडियन से एक अंग्रेज ने पूछा: "आप का यह देशी पैंट
(पजामा) कितने दिन चल जाता है?
इंडियन ने जवाब दिया: "कुछ ख़ास नहीं, मैं इसे एक साल पहनता हूं। उसके बाद
श्रीमति जी इसको काटकर राजू के साइज़ का बना देती है। फिर राजू इसे एक साल पहनता है।
उसके बाद श्रीमति जी इसको काट-छांट कर तकियों के कवर बना लेती हैं। फिर एक साल बाद उन कवर का झाड़ू पोछे में
इस्तेमाल करते हैं।"

अंग्रेज बोला: "फिर फेंक देते होंगे ?"
इंडियन ने फिर कहा: "नहीं-नहीं इसके बाद 6 महीने तक मै इस से अपने जूते साफ़ करता हूं और अगले 6 महीने तक बाइक
का साइलेंसर चमकाता हूं।
बाद में उसे हाथ से बनाई जाने वाली गेंद में काम लेते हैं और अंत में कोयले की सिगडी (चूल्हा) सुलगाने के काम में लेते
हैं और सिगड़ी (चूल्हे) की राख बर्तनमांजने के काम में लेते हैं।"

Wednesday, October 15, 2014

Hindu Science Facts

 Gayatri Mantra declared the most powerful mantra 🔔🔔🔔🔔🔔🔔
❗Scientific research ❗

Hanuman Chalisa and Gayatri Mantra


Any one who knows the Hanuman Chalisa? In Hanuman Chalisa, it is said :

"Yug sahastra yojan per Bhanu!
Leelyo taahi madhur phal janu!!

1 Yug = 12000 years
1 Sahastra = 1000

1 Yojan = 8 Miles

Yug x Sahastra x Yojan = par Bhanu
12000 x 1000 x 8 miles = 96000000 miles

1 mile = 1.6kms

96000000 miles = 96000000 x 1.6kms =
96000000 miles/1536000000 kms to Sun

NASA has said that, it is the exact distance between Earth and Sun (Bhanu).
Which proves God Hanuman did jump to Planet Sun, thinking it as a sweet fruit (Madhur phal).

It is really interesting how accurate and meaningful our ancient scriptures are.Unfortunately barely it is recognized, interpreted accurately or realized by any in today's time...

The GAYATRI MANTRA" the most powerful hymn in the world

Dr.Howard Steingeril, an American scientist, collected Mantras, Hymns and invocations from all over the world and tested for their strength in his Physiology Laboratory&

Hindu's Gayatri Mantra produced 110,000 sound waves /second...

This was the highest and was found to be the most powerful hymn in the world.
Through the combination of sound or sound waves of a particular frequency, this Mantra is claimed to be capable of developing specific spiritual potentialities.
The Hamburg university initiated research in
to the efficacy of the Gayatri Mantra both on the mental and physical plane of CREATION...

The GAYATRI MANTRA is broadcasted daily for 15 minutes from 7 P.M. onwards over Radio Paramaribo, Surinam, South America for the past two years, and in Amsterdam, Holland for the last six months.

"Om Bhoor Bhuwah Swah, Tat Savitur Varenyam, Bhargo Devasya Dheemahi, Dhiyo Yo Nah Pra-chodayaat !" 😊

"It's meaning:

God is dear to me like my own breath, He is the dispeller of my pains, and giver of happiness.I meditate on the supremely adorable Light of the Divine Creator, that it may inspire my thought and understanding." 

Monday, October 13, 2014

काँच की बरनी और दो कप चाय ~*~

जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी - जल्दी करने की इच्छा होती है , सब कुछ तेजी
से पा लेने की इच्छा होती है , और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम
पड़ते हैं , उस समय ये बोध कथा , " काँच की बरनी और दो कप चाय " हमें याद आती
है ।

दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे
आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ...

उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें
टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ...
उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ ...
आवाज आई ...
फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये h धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये ,
फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहा
अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे ...
फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ
.. अब तो पूरी भर गई है .. सभी ने एक स्वर में कहा ..

सर ने टेबल के नीचे से
चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली , चाय भी रेत के बीच स्थित
थोडी़ सी जगह में सोख ली गई ...

प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया


इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो ....

टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान , परिवार , बच्चे , मित्र , स्वास्थ्य और शौक हैं ,

छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी , कार , बडा़ मकान आदि हैं , और

रेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें , मनमुटाव , झगडे़ है ..

अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती , या
कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते , रेत जरूर आ सकती थी ...
ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है ...

यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे
और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय
नहीं रहेगा ...

मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपने
बच्चों के साथ खेलो , बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ ,
घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको , मेडिकल चेक - अप करवाओ ...
टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो , वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है
... बाकी सब तो रेत है ..
छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे ..

अचानक एक ने पूछा , सर लेकिन आपने यह नहीं बताया
कि " चाय के दो कप " क्या हैं ?

प्रोफ़ेसर मुस्कुराये , बोले .. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ...
इसका उत्तर यह है कि , जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे , लेकिन
अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये ।

Saturday, October 11, 2014

Nice one dedicated to all married people..

अन्त में हम दोनों ही होंगे !!!.

भले ही झगड़े, गुस्सा करे,
एक दूसरे पर टूट पड़े
एक दूसरे पर दादागिरि करने के
 लिये, अन्त में हम दोनों ही होंगे

जो कहना हे, वह कह ले,
जो करना हे, वह कर ले
एक दुसरे के चश्मे और
लकड़ी ढूँढने में,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

मैं रूठूं तो तुम मना लेना,
तुम रूठो ताे मै मना लूँगा
एक दुसरे को लाड़ लड़ाने के लिये,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

आँखे जब धुँधली होंगी,
याददाश्त जब कमजोर होंगी
तब एक दूसरे को एक दूसरे
मे ढूँढने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

घुटने जब दुखने लगेंगे,
कमर भी झुकना बंद करेगी
तब एक दूसरे के पांव के नाखून काटने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

"मेरी हेल्थ रिपोर्ट एक दम नॉर्मल
 है, आइ एम आलराईट
ऐसा कह कर ऐक दूसरे को
 बहकाने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

साथ जब छूट जायेगा,
बिदाई की घड़ी जब आ जायेगी
तब एक दूसरे को माफ करने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे.

Friday, October 10, 2014

नोबेल पुरुष्कार

श्री कैलाश सत्यार्थी जी को नोबेल पुरुष्कार के लिए हार्दिक बधाई। आप ही है हमारे असली हीरो।
जनता को अब जागरूक करना होगा और इन असली हीरो / हिरोइन को असली सम्मान दिलाना होगा। सबसे निवेदन है कि भांडो के पीछे भागना छोडो।
और अगर कर सको तो इस दिवाली अपने आस पास ऐसे ही किसी हीरो या हिरोइन से मिलकर उनका सम्मान करें। वे सालों साल बिना किसी लाभ के बिना लाइम लाइट के चुपचाप समाज की बुराइयो से लड़ रहे है। और हम डायरेक्ट या इन् डायरेक्ट ( प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप ) में इनके कामो से लाभान्वित होते रहते है। इतना तो उनका हम पर हक बनता है।
इनके सम्मान में
जय जवान - जय किसान - जय विज्ञान के साथ "जय इंसान" जोड़ना चाहिए। 
जय हिन्द और शुभेच्छा।
सभी राष्ट्भक्त भारतीय नागरिक।

Thursday, October 9, 2014

Natural Therapy

Natural Therapy For Headaches !
In about 5 mins, your headache will go.......

The nose has a left and a right side.
We use both to inhale and exhale.
Actually they are different.
You'll be able to feel the difference.

The right side represents the sun.
The left side represents the moon.

During a headache, try to close your right nose
and use your left nose to breathe.
In about 5 mins, your headache will go.

If you feel tired, just reverse, close your left nose
and breathe through your right nose.
After a while, you will feel your mind is refreshed.

Right side belongs to 'hot', so it gets heated up easily.
Left side belongs to 'cold'.

Most females breathe with their left noses,
so they get "cooled off" faster.
Most of the guys breathe with their right noses,
they get worked up.

Do you notice, the moment you awake, which side breathes better?
Left or right ?
If left is better, you will feel tired.
So, close your left nose and use your right nose for breathing..
You will feel refreshed quickly.

Do you suffer from continual headaches?
Try out this breathing therapy.

Close your right nose and breathe through your left nose.
Your headaches will be gone.
Continued the exercise for one month.

Why not give it a try.....a natural therapy without medication.

DON'T FORGET TO SHARE
CURE FOR ACIDITY:


Acidity, it is said, is worse than Cancer. It is one of the most common dis-ease people encounter in their daily life. The home remedy for Acidity is Raw Grains of Rice.

The Process:

1.     Take 8 - 10 grains of raw uncooked rice

2.     Swallow it with water before having your breakfast or eating anything in the morning

3.     Do this for 21 days to see effective results and continuously for 3 months to eliminate acidity from the body

The Cure:

Reduces acid levels in the body and makes you feel better by the day.

CURE FOR CHOLESTEROL:



Cholesterol problem accompanies with Hypertension and Heart Problems. This is also one of the common problems in people who have High Blood Pressure and Diabetes. The home remedy for Cholesterol problem is RAW SUPARI.

The Process:

1.     Take Raw Supari (Betel Nut that is not flavoured) and slice them or make pieces of the same

2.     Chew it for about 20 - 40 minutes after every meal

3.     Spit it out

The Cure:

When you chew the supari, the saliva takes in the juice that is generated and this acts like a Blood Thinner. Once your blood becomes free flowing, it brings down the pressure in the blood flow, thereby reducing Blood Pressure too.

CURE FOR BLOOD PRESSURE:

One of the simple home remedy cure for Blood Pressure is Methi Seeds or Fenugreek Seeds.

The Process:

1.     Take a pinch of Raw Fenugreek Seeds, about 8 - 10 seeds

2.     Swallow it with water before taking your breakfast, every morning

The Cure:

The seeds of Fenugreek are considered good to reduce the blood pressure.

CURE FOR DIABETES:

There are 2 home remedies for Diabetes. One is Ladies Finger and the other is Black Tea.

BLACK TEA: Due to high medication, the organ that is worst affected is the Kidney. It has been observed that Black Tea (tea without milk, sugar or lemon) is good for the Kidney. Hence a cup of black tea every morning is highly advisable.

The Process:

1. Boil water along with the tea leaves (any tea leaves will do).

2. Drink the concoction without addingmilk, sugar or lemon.

The Cure:

Black Tea will help in enhancing the function of the kidney, thereby not affecting it more.

LADIES FINGER or OKRA:
Ladies finger is considered to be a good home medicine for diabetes.



The Process:


1. Slit the ladies finger into 2 halves vertically and soak it in water overnight.

2. The next morning, remove the ladies fingers and drink the water, before eating your breakfast.

The Cure:

After the ladies fingers are soaked overnight in the water, you can observe that the water becomes sticky in the morning. This sticky water is considered to be good for people who suffer from Diabetes.

Tuesday, October 7, 2014

Hindi is Great and Ancient Language

हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है उसके पीछे कुछ कारण है , अंग्रेजी भाषा में ये बात देखने में नहीं आती | ______________________ क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है। एक बार बोल कर देखिये | च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ तालू से लगती है। एक बार बोल कर देखिये | ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है। एक बार बोल कर देखिये | 😀 त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है। एक बार बोल कर देखिये | प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है। एक बार बोल कर देखिये । 😀 ________________________ हम अपनी भाषा पर गर्व करते हैं ये सही है परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये | इतनी वैज्ञानिकता दुनिया की किसी भाषा मे नही है जय हिन्द क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें.... •••••••••••••••••••••••••••••••••••• क - क्लेश मत करो ख- खराब मत करो ग- गर्व ना करो घ- घमण्ड मत करो च- चिँता मत करो छ- छल-कपट मत करो ज- जवाबदारी निभाओ झ- झूठ मत बोलो ट- टिप्पणी मत करो ठ- ठगो मत ड- डरपोक मत बनो ढ- ढोंग ना करो त- तैश मे मत रहो थ- थको मत द- दिलदार बनो ध- धोखा मत करो न- नम्र बनो प- पाप मत करो फ- फालतू काम मत करो ब- बिगाङ मत करो भ- भावुक बनो म- मधुर बनो य- यशश्वी बनो र- रोओ मत ल- लोभ मत करो व- वैर मत करो श- शत्रुता मत करो ष- षटकोण की तरह स्थिर रहो स- सच बोलो ह- हँसमुख रहो क्ष- क्षमा करो त्र- त्रास मत करो ज्ञ- ज्ञानी बनो !!

Friday, October 3, 2014

Positive & Inclusive Thinking

A farmer grew award-winning corn. Each year he entered his corn in the state fair where it won a blue ribbon.One year a newspaper reporter interviewed him and learned something interesting about how he grew it. The reporter discovered that the farmer shared his seed corn with his neighbors. “How can you afford to share your best seed corn with your neighbors when they are entering corn in competition with yours each year?” the reporter asked.
“Why sir,” said the farmer, “didn’t you know? The wind picks up pollen from the ripening corn and swirls it from field to field. If my neighbours grow inferior corn, cross-pollination will steadily degrade the quality of my corn. If I am to grow good corn, I must help my neighbours grow good corn.”
He is very much aware of the connectedness of life. His corn cannot improve unless his neighbour's corn also improves.

So it is with our lives. Those who choose to succeed must help others to succeed. Those who want to live meaningfully and well must help enrich the lives of others, for the value of a life is measured by the lives it touches. And those who choose to be happy must help others to find happiness, for the welfare of each is bound up with the welfare of all.If we are to grow good corn, we must help our neighbours grow good corn. Call it mutualism. Call it a principle of success. Call it a law of life. The fact is, none of us truly win, until we all win!!

Wednesday, October 1, 2014

यक्ष-प्रश्न........????

➰यक्ष ने प्रश्न किया – मनुष्य का साथ कौन देता है? 🛂युधिष्ठिर ने कहा – धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है. ➰यक्ष – यशलाभ का एकमात्र उपाय क्या है? 🛂युधिष्ठिर – दान. ➰यक्ष – हवा से तेज कौन चलता है? 🛂युधिष्ठिर – मन. ➰यक्ष – विदेश जानेवाले का साथी कौन होता है? 🛂युधिष्ठिर – विद्या. ➰यक्ष – किसे त्याग कर मनुष्य प्रिय हो जाता है? 🛂युधिष्ठिर – अहम् भाव से उत्पन्न गर्व के छूट जाने पर. ➰यक्ष – किस चीज़ के खो जाने पर दुःख नहीं होता? 🛂युधिष्ठिर – क्रोध. ➰यक्ष – किस चीज़ को गंवाकर मनुष्य धनी बनता है? 🛂युधिष्ठिर – लोभ. ➰यक्ष – ब्राम्हण होना किस बात पर निर्भर है? जन्म पर, विद्या पर, या शीतल स्वभाव पर? 🛂युधिष्ठिर – शीतल स्वभाव पर. ➰यक्ष – कौन सा एकमात्र उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है? 🛂युधिष्ठिर – अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय है. ➰यक्ष – सर्वोत्तम लाभ क्या है? 🛂युधिष्ठिर – आरोग्य. ➰यक्ष – धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है? 🛂युधिष्ठिर – दया. ➰यक्ष – कैसे व्यक्ति के साथ की गयी मित्रता पुरानी नहीं पड़ती? 🛂युधिष्ठिर – सज्जनों के साथ की गयी मित्रता कभी पुरानी नहीं पड़ती. ➰यक्ष – इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? 🛂युधिष्ठिर – रोज़ हजारों-लाखों लोग मरते हैं फिर भी सभी को अनंतकाल तक जीते रहने की इच्छा होती है. इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है