Wednesday, November 26, 2014

माँ

बचपन की एक रात बहुत याद आती है,
उस रात
को मेरे पेट मैं दर्द हो रहा था |
सारे दिन
की थकी हारीं माँ सो रही थी,
मेरा टसकना सुनकर माँ जाग उठी | मुझे प्यार से सीने से लगाया,
नमक अजवान का चूरन दिया,
सारी रात जाग कर मुझे सीने से लगाए
रखी ||
अबमें जवान हो गया हूँ,
मेरी शादी भी हो गई हैं, एक रात फिर मेरे पेट में भयंकर दर्द उठा |
दर्द के मारे टसकने लगा,
मेरी पत्नी की नींद टूट गई,
कहने लगी रात मैं भी सोने नहीं देते,
पेट को भी रात मैं ही दुखना था,
किसी तरह रात निकालो सुबह डॉक्टर को दिखला देना |
रात कैसे निकले,
सहमता सा माँ को उठाया,
माँ ने अपनी ममता की कोंख में
सुलाया, नमक
अजवान का चूरन दिया पेट पर नारियल का तेल लगाया,
पेट का दर्द कम हो गया
और मुझे नींद आगई
माँ ने उलाहना दिया क्यों बहु
को उठाया??
बेचारी सारे दिन काम कर कर सोई हैं मुझे पहलेही उठा लेता ||
यह तो माँ की ममता हैं
इसकी न कोई समता हैं ||
जब मेरी पत्नी माँ बनेगी,
तो क्या वह भी अपने बच्चे को सुबह
ही डॉक्टर को दिखलाएगी??
सचमुच दोस्तों,
माँ तो माँ ही होती है |
अपनी औलाद का दर्द
जितना माँ की ममता को होता है,
किसी को नहीं होता || अगर कहानी पसंद आई
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