Monday, August 11, 2014

Daughter

एक दिन की बात है ,
लड़की की माँ खूब परेशान होकर अपने
पति को बोली की

एक तो हमारा एक समय
का खाना पूरा नहीं होता और बेटी
बड़ी होती जा रही है .
गरीबी की हालत में इसकी शादी केसे करेंगे ?
बाप भी विचार में पड़ गया .
दोनों ने दिल पर पत्थर रख कर एक
फेसला किया की कल बेटी को मार कर गाड़
देंगे .
दुसरे दिन का सूरज निकला ,
माँ ने लड़की को खूब लाड प्यार किया ,
अच्छे से नहलाया , बार - बार उसका सर
चूमने लगी .
यह सब देख कर लड़की बोली : माँ मुझे
कही दूर भेज
रहे हो क्या ?
वर्ना आज तक आपने मुझे ऐसे कभी प्यार
नहीं किया ,
माँ केवल चुप रही और रोने लगी ,
तभी उसका बाप हाथ में फावड़ा और चाकू
लेकर आया ,
माँ ने लड़की को सीने से लगाकर बाप के साथ
रवाना कर दिया .
रस्ते में चलते - चलते बाप के पैर में कांटा चुभ
गया ,
बाप एक दम से निचे बेठ गया ,
बेटी से देखा नहीं गया उसने तुरंत
कांटा निकालकर फटी चुनरी का एक
हिस्सा पैर पर बांध दिया .
बाप बेटी दोनों एक जंगल में पहुचे
बाप ने फावड़ा लेकर एक गढ़ा खोदने
लगा बेटी सामने बेठे - बेठे देख रही थी ,
थोड़ी देर बाद गर्मी के कारण बाप
को पसीना आने लगा .
बेटी बाप के पास गयी और पसीना पोछने के
लिए अपनी चुनरी दी .
बाप ने धक्का देकर बोला तू दूर जाकर बेठ।
थोड़ी देर बाद जब बाप गडा खोदते - खोदते
थक गया ,
बेटी दूर से बैठे -बैठे देख रही थी,
जब उसको लगा की पिताजी शायद थक गये
तो पास आकर बोली
पिताजी आप थक गये है .
लाओ फावड़ा में खोद देती हु आप थोडा आराम
कर लो .
मुझसे आप की तकलीफ नहीं देखी जाती .
यह सुनकर बाप ने अपनी बेटी को गले
लगा लिया,
उसकी आँखों में आंसू की नदिया बहने लगी ,
उसका दिल पसीज गया ,
बाप बोला : बेटा मुझे माफ़ कर दे , यह
गढ़ा में तेरे
लिए ही खोद रहा था .
और तू मेरी चिंता करती है , अब
जो होगा सो होगा तू हमेशा मेरे
कलेजा का टुकड़ा बन कर रहेगी
में खूब मेहनत करूँगा और तेरी शादी धूम धाम
से करूँगा -
सारांश : बेटी तो भगवान की अनमोल भेंट
है ,
बेटीय़ा है तो कल है
बेटा - बेटी दोनों समान है ,
उनका एक समान पालन करना हमारा फ़र्ज़
है ....!!