Thursday, January 8, 2015

सहनशक्ति सबसे बड़ा गुण है

एक सिंह और एक चीता एक साथ बैठे हुए थे I कुछ देर बाद उनके पास से एक गधा गुजरा, उसने सिंह से कहा, 'आओ मेरे साथ लड़ लो...!' सिंह ने उसकी ओर देखा तक नहीं I दूसरी बार गधे ने बड़े रुआब से कहा, 'यदि तुम्हें लड़ना हो तो मेरे सामने आओ...!' सिंह ने फिर भी कुछ न कहा और शांत बैठा रहा I गधा वहाँ से आगे बढ़ गया I थोड़ी देर के बाद गधा पुनः आया और चेतावनी भरे स्वर में बोला, 'देखो, आखिरी बार कह देता हूँ कि तुम्हें यदि लड़ना है, तो मेरे सामने मैदान में आ जाओ...!' लेकिन सिंह ने गधे की ओर देखा तक नहीं और गधा वहाँ से चला गया I उसके जाने के बाद चीते ने सिंह से कहा, 'मित्र!  यह गधा, तुम्हारे बाँए पंजे की खुराक है, लेकिन तुमने इतना सब कुछ सहन क्यों किया ?' सिंह ने कहा, 'यदि उसे मारना ही होता तो मैं एक मिनट में उसका काम तमाम कर देता, लेकिन लोक में इस बात की हँसी होती कि सिंह और गधे में युद्ध हुआ, जिसमें सिंह ने गधे को मार डाला ! इसमें मेरी कोई सभ्यता तो थी ही नहीं, इससे मेरी कोई बड़ाई भी न थी I इसलिए ऐसी दशा में मौन रहना ही उचित है I'

इसलिए सहनशीलता को विवशता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए I यह तो एक प्रकार की शूरवीरता है तथा जो बाद में सम्मान का कारण भी बनती है I
**Tolerance is the only real test of civilization and it is best religion.**