Sunday, February 16, 2014

समय का सदुपयोग कीजिये

कल्पना कीजिये एक बैंक अकाउंट की जिसमे रोज सुबह आपके लिए कोई 86,400 रुपये जमा कर देता है ।
लेकिन शर्त ये है की इस अकाउंट का बैलेंस कैरी फॉरवर्ड नहीं होगा यानि दिन के अंत में बचे पैसे आपके लिए अगले दिन उपलब्ध नहीं रहेंगे ।
और
हर शाम इस अकाउंट में बचे हुए पैसे आपसे वापस ले लिए जाते हैं। ऐसे सिचुएशन में आप क्या करेंगे ?
जाहिर है आप एक-एक पैसा निकल लेंगे. है ना
हम सब के पास एक ऐसा ही बैंक है, इस बैंक का नाम है  " समय". हर सुबह समय हमको 86,400 सेकण्ड्स देता है। और हर रात्रि ये उन सारे बचे हुए सेकण्ड्स जिनको आपने किसी बहतरीन मकसद के लिए इस्तेमाल नहीं किया है, हमसे छीन लेती है। ये कुछ भी बकाया समय आगे नहीं ले जाती है।
हर सुबह आपके लिए एक नया अकाउंट खुलता है, और अगर आप हर दिन के जमा किये गए सेकण्ड्स को ठीक से इस्तेमाल करने में असफल होते हैं तो ये हमेशा के लिये आपसे छीन लिया जाता है।
अब निर्णय आपको करना है कि दिए गए 86,400 सेकण्ड्स का आप उपयोग करना चाहते हैं या फिर इन्हें गंवाना चाहते हैं, क्यूंकि एक बार खोने पर ये समय आपको कभी वापस नहीं मिलेगा।
आप हर दिन दिए गए 86,400 सेकण्ड्स का बेहतरीन इस्तेमाल कैसे करना चाहेंगे??
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एक प्यारी सी कविता वक़्त पर ...
" वक़्त नहीं "
हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में ,
पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं .
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं ..
सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर दोस्ती के लिये वक़्त नहीं .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं .
आखों में है नींद भरी ,
पर सोने का वक़्त नहीं .
दिल है ग़मो से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,
कि थकने का भी वक़्त नहीं .
पराये एहसानों की क्या कद्र करें ,
जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं
तू ही बता ऐ ज़िन्दगी ,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
कि हर पल मरने वालों को ,
जीने के लिये भी वक़्त नहीं ..